खतरे में डिजिटल सेफ्टी: Quantum Computing से बैंकिंग और सरकारी डेटा पर मंडरा रहा खतरा

क्या हो अगर कल सुबह आप उठें और आपकी बैंक ऐप का पासवर्ड कोई Quantum Computing चुटकियों में तोड़ दे?  सुनकर मूवी की कहानी लगती है ना? लेकिन ये सिर्फ हॉलीवुड स्क्रिप्ट नहीं, बल्कि आने वाले कल की हकीकत हो सकती है।


Quantum computing
Quantum Computing 

➨ क्यों है इतना बड़ा खतरा?

आज की डिजिटल सिक्योरिटी एन्क्रिप्शन पर टिकी है। यह एन्क्रिप्शन हमारे बैंक अकाउंट, सरकारी डेटा और यहां तक कि WhatsApp चैट तक को सुरक्षित रखता है। लेकिन क्वांटम कंप्यूटिंग की ताकत इतनी जबरदस्त है कि ये सुपरकंप्यूटर के मुकाबले हज़ारों गुना तेज काम करता है। जो पासवर्ड एक सुपरकंप्यूटर को सालों में क्रैक करने में लगेगा, वही क्वांटम कंप्यूटर मिनटों में खोल देगा।

Orange Business के VP Benjamin Viguru कहते हैं – “हैकर्स पहले से डेटा जमा कर रहे हैं और इंतजार कर रहे हैं कि क्वांटम कंप्यूटर से इसे डिक्रिप्ट किया जा सके।” यानी खतरा अब सिर्फ थ्योरी नहीं, बल्कि हकीकत का अलार्म है।


➨ Quantum Computing सिर्फ खतरा नहीं, समाधान भी

घबराइए मत, ये टेक्नोलॉजी सिर्फ हैकिंग तक सीमित नहीं। क्वांटम कंप्यूटिंग से नई दवाओं की खोज होगी, कैंसर और अल्जाइमर जैसी बीमारियों पर रिसर्च तेज होगी। मौसम की सटीक भविष्यवाणी से लेकर क्लाइमेट चेंज तक की जटिल समस्याएं सुलझाई जा सकेंगी। और हां, अगर बॉलीवुड साइ-फाई फिल्म बनेगी तो उसका हीरो जरूर क्वांटम मशीन से दुनिया बचाता नज़र आएगा। 


➨ मुश्किलें भी हैं रास्ते में

क्वांटम मशीनें चलाना आसान नहीं। इन्हें आइसक्रीम से भी ज्यादा ठंडी जगह चाहिए , वरना ये सही से काम नहीं करतीं। ऊपर से इनकी कीमत इतनी है कि पूरा बजट बिगाड़ सकती है। यानी फिलहाल ये आम लोगों से दूर और साइंटिस्ट्स की लैब में कैद हैं।

➨ तैयारी करनी होगी अभी से

सवाल ये नहीं है कि क्वांटम कंप्यूटिंग कब आएगी, बल्कि ये है कि हम कितने तैयार होंगे। दुनिया की सरकारें और कंपनियां अब Post-Quantum Cryptography (PQC) पर काम कर रही हैं। भारत जैसे देशों को भी एजुकेशन और रिसर्च में इन्वेस्टमेंट बढ़ाना होगा ताकि आने वाला क्वांटम एरा हमारे लिए खतरा नहीं, मौका बने।


➨ निष्कर्ष:

क्वांटम कंप्यूटिंग इंटरनेट जितना बड़ा बदलाव ला सकती है। फर्क सिर्फ इतना है कि इस बार जो तैयार नहीं होंगे, वे डिजिटल रेस में पीछे रह जाएंगे। तो अगली बार जब पासवर्ड बनाएं तो याद रखिए – कल को उसे कोई “क्वांटम जादूगर” मिनटों में खोल सकता है। 

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